भावना की ज्योत को जगाकर के देख ले,
बोलती है मूर्ती बुला के देख ले,
सौ बार चाहे आजमा के देख ले,
सौ बार चाहे आजमा के देख ले,
बोलती है मूर्ती बुला के देख ले।।
आओ माँ,,,आओ माँ,,,
आओ माँ,,,आओ माँ,,,।
करोगे जो सवाल तो जवाब मिलेगा,
यहाँ पुण्य पाप सबका हिसाब मिलेगा,
भले बुरे सबको ही जानती है माँ,
खरी खोटी सबकी पहचानती है माँ,
श्रद्धा से सर को झुका के देख ले,
श्रद्धा से सर को झुका के देख ले,
बोलती है मूर्ती बुला के देख ले।।
आओ माँ,,,आओ माँ,,,
आओ माँ,,,आओ माँ,,,।
छाया में है छुपी जो बैठी धुप में,
मैया का होता दर्शन किसी भी रूप में,
होगा हर जगह अहसास उसका,
तेरे विश्वास में निवास उसका,
जिस ओर नज़रे घुमा के देखले,
बोलती है मूर्ती बुला के देख ले।।
आओ माँ,,,आओ माँ,,,
आओ माँ,,,आओ माँ,,,।
भावना की ज्योत को जगाकर के देख ले,
बोलती है मूर्ती बुला के देख ले,
सौ बार चाहे आजमा के देख ले,
सौ बार चाहे आजमा के देख ले,
बोलती है मूर्ती बुला के देख ले।।
आओ माँ,,,आओ माँ,,,
आओ माँ,,,आओ माँ,,,।
गायक – सौरभ मधुकर।