ब्रह्म ऋषि है खेतारामजी दाता,
आसोतरा में आया रे हाँ,
माला फेरी है हरी रा नाम री रे,
भक्ति ब्रह्मा री कमाया रे हाँ।।
सत री संगत दाता राखता रेे,
सतगुरु वसन सुनाता रे हा,
केणो रे करजो रे माय बाप रो,
जिनमें सब सुख आता रे हा।।
बहन बेटी ने मान देवजो रे,
सेवा गौ मात री करजो रे हा,
खोटे रस्ते मत हालजो रे,
मार्ग सत रे वालो धरजो रे हा।।
कुड कपट मत ना राखजो रे,
पैसों बेटी रो नही लेंणो रे हा,
पालनी करजो रे अतरा बोल रो रे,
ओ गुरु खेतेश्वर रो केहनो रे हा।।
दाता केवे पुरोहितों साबलो घर में,
बकरी मत ना राखो रे हा,
सोत लागे रे ब्रह्म खोलिया ने,
बकरी देवासियों घरे हाको रे हा।।
पुन री रे जड़ परी देखजो रे,
आ तो पियाला रे माई रे हा,
अर्थंडी शैतान भजन बना वियो रे,
नरसिंग गुरु शरणो में गायो रे हा।।
ब्रह्म ऋषि है खेतारामजी दाता,
आसोतरा में आया रे हाँ,
माला फेरी है हरी रा नाम री रे,
भक्ति ब्रह्मा री कमाया रे हाँ।।
– भजन प्रेषक –
सुरेन्द्र सिंह राजपुरोहित।