बुढ़ापे बैरी,
कौण सुणेगा तेरी बात।।
आया बुढ़ापा कान में कह गया,
तीन पते की बात,
मीठा बोलिए ले क चलिए,
लाठी दे दी हाथ,
बुढापे बैरी,
कौण सुणेगा तेरी बात।।
बेटी त घरबार चली जा,
बैटै बहुंआ के हाथ,
खाण पीवण कोण देवेगा,
न्युंए तुड़ाया गात,
बुढापे बैरी,
कौण सुणेगा तेरी बात।।
पायां त चालया ना जाता,
कान सुणे ना बात,
आंख्यां त कम दिखण लागया,
दिन सुझे ना रात,
बुढापे बैरी,
कौण सुणेगा तेरी बात।।
चार जणे तने ले क चालं,
गोसा पुला साथ,
कहत कबीर सुणो भई साधो,
जल बल होगी राख,
बुढापे बैरी,
कौण सुणेगा तेरी बात।।
बुढ़ापे बैरी,
कौण सुणेगा तेरी बात।।
गायक – नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक – राकेश कुमार खरक जाटान(रोहतक)
9992976579
Good song