बुला लो वृन्दावन गिरधारी,
बसा लो वृन्दावन गिरधारी,
मेरी बीती उमरिया सारी,
बुला लों वृन्दावन गिरधारी।।
मोह ममता ने डाला घेरा,
ना कोई सूझे रास्ता तेरा,
दीन दयाल पकड़ लो बहियाँ,
अब केवल आस तिहारी,
बुला लों वृन्दावन गिरधारी।।
करुणा करो मेरे नटनागर,
जीवन की मेरे खाली गागर,
अपनी दया का सागर भर दो,
मैं आई शरण तिहारी,
बुला लों वृन्दावन गिरधारी।।
दीन जान ठुकरा ना देना,
अपनी चरण कमल रज देना,
युगों युगों से खोज रही हूँ,
अब दर्शन दो गिरिधारी,
बुला लों वृन्दावन गिरधारी।।
बुला लो वृन्दावन गिरधारी,
बसा लो वृन्दावन गिरधारी,
मेरी बीती उमरिया सारी,
बुला लों वृन्दावन गिरधारी।।
स्वर – देवी चित्रलेखा जी।
Bhaut achaa
Shandar Bhajan