मो सम दीन न दीन हित तुम समान रघुवीर लिरिक्स
मो सम दीन न दीन हित, मो सम दीन न दीन हित, तुम समान रघुवीर। अस विचार रघुवंश मणि, हरहू...
Read moreमो सम दीन न दीन हित, मो सम दीन न दीन हित, तुम समान रघुवीर। अस विचार रघुवंश मणि, हरहू...
Read moreआरती जगजननी मैं तेरी गाऊं, तुम बिन कौन सुने वरदाती, किसको जाकर विनय सुनाऊं, आरती जगजननी मैं तेरी गाऊँ।। तर्ज...
Read moreजय महाकाल राजा, भोले जय गौरी नाथा, तीर्थ अवन्ती विराजे, भक्तों की रखे लाजा, ॐ जय महाकाल राजा।। देखे -...
Read moreकाल भैरव अष्टक, देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं, व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्। नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं, काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे।१। भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं, नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्। कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं, काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे।२। शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं, श्यामकायमादिदेवमक्षरं...
Read moreजय जय त्रिभुवन वन्दिनी, गिरिनन्दिनि हे गिरिनन्दिनि हे, असुर निकन्दिनि मातु, जय जय शम्भु प्रिये।। त्रिगुण शक्ति निज धारणि, शुभकारिणि...
Read moreॐ जय श्री बाबोसा, बोलो जय श्री बाबोसा, चूरू धाम में विराजत, रूप हनुमत सा, ॐ जय श्रीं बाबोसा।। शीश...
Read moreजय भगवती देवी नमो वरदे, जय पापविनाशिनि बहुफलदे।। देखे - नमस्कार देवी जयंती महारानी। जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे, प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे,...
Read moreमन में बिठाकर तेरी मूर्ति, उतारे ओ मैया तेरी आरती, सजाई है पूजा की थाली तेरी, लिए सच्ची श्रद्धा है...
Read moreनित्य पठनीय गीताजी के पाँच श्लोक, वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्, देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्। १. अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन्, प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय...
Read moreश्री यमुनाजी के 41 पद, पद संख्या 1 पिय संग रंग भरि करि कलोले, सबन को सुख देन, पिय संग...
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