अगर तू चाहे जो भव तरना आ गुरू दर पे भजन
अगर तू चाहे जो भव तरना, आ गुरू दर पे, बिना वजह ही क्यो लादे, है बोझ तू सर पे।।...
Read moreअगर तू चाहे जो भव तरना, आ गुरू दर पे, बिना वजह ही क्यो लादे, है बोझ तू सर पे।।...
Read moreतुझे दे दी गुरुजी ने चाबी, तो फिर कँगाल क्यो बने, तुझे लाल चुनर, तुझे लाल चुनरिया उड़ादी, तो फिर...
Read moreउमर गुजर गुजर जाए, मगर तू न सुधर पाए, है मेरी इतनी सी, इल्तिजा रे ओ मन, तरा जाए बिना...
Read moreमेरे मन देख ये आदत तेरी, आगे चल कर, तेरी राहो में, ये घातक होगी, काहे मनमानी को तू करता...
Read moreतेरी नौका में जो बैठा, वो पार हो गया, जो लिया था-२, नाम भव से पार हो गया, तेरी नौका...
Read moreधीरे धीरे बीती जाए उमर, भव तरने का जतन तू कर, क्यो जग में भटके तू कही, क्यो दर गुरू...
Read moreचाहूँ न मै प्रभू माल खजाना, बस मुझको इतना बतलाना, भव कैसे मै तरूँगा, भव कैसे मै तरूँगा।। तर्ज -...
Read moreसोऐ को सँत जगाऐ, फिर नीँद न उसको आऐ, जो जाग के फिर सो जाऐ, उसे कोन जगाऐ, हो उसे...
Read moreपल पल में यह जीवन जाए हाय, बृथा की बातो में, इस पल को काहे तू खोए, बृथा की बातो...
Read moreऐ मेरे मन अभिमानी, क्यो करता है नादानी। तर्ज - ऐ मेरे वतन के लोगो। शेर- है तेरे भजन की बैरा,...
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