दिव्य धरा यह भारती छलक रहा आनंद लिरिक्स
दिव्य धरा यह भारती, छलक रहा आनंद, नव सौंदर्य संवारती, शीतल मंद सुगंध, उतारे आरती जय माँ भारती, उतारे आरती...
Read moreदिव्य धरा यह भारती, छलक रहा आनंद, नव सौंदर्य संवारती, शीतल मंद सुगंध, उतारे आरती जय माँ भारती, उतारे आरती...
Read moreकोटि कोटि हिन्दुजन का, हम ज्वार उठा कर मानेंगे, सौगंध राम की खाते हैं, भारत को भव्य बनाएंगे, भारत को...
Read moreकही पर्वत झुके भी है, कही दरिया रूके भी है, नहीं रूकती रवानी है, नहीं झुकती जवानी है।। गुरू गोबिंद...
Read moreमनुष्य तू बडा महान है, धरती की शान तू है, मनु की संतान, तेरी मुठ्ठियों मे बंद तूफान है रे,...
Read moreसरहद तुझे प्रणाम, सरहद तुझें प्रणाम।। देश की रक्षा धर्म हमारा, देश की सेवा कर्म हमारा, गूंज उठेगा जल थल...
Read moreरक्त शिराओं में राणा का, रह रह आज हिलोरे लेता, मातृभूमि का कण कण तृण तृण, हमको आज निमंत्रण देता।।...
Read moreयह कल कल छल छल बहती, क्या कहती गंगा धारा, युग युग से बहता आता, यह पुण्य प्रवाह हमारा, यह...
Read moreभारत की इस पुण्य धरा पर, शुभ परिवर्तन लायेगें, सारे दोष हटायेंगे, सारे भेद मिटायेंगे, सारे दोष हटायेंगे, सारे भेद...
Read moreदो दो गुजरीया के बीच में, अकेलो सावरियो, दो दो गुजरिया के बीच में, अकेलो सावरियो, अकेलो सावरियो रे अकेलो...
Read moreओलुडी आवे ओ म्हाने, आपरी ओ मारा बीर। सुगना री सायलडी सुनो, ओ हो सुगना री सायलडी री सुनो, ओलुडी...
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