काना मार गयी रे तेरी तिरछी नजर लिरिक्स
काना मार गयी रे, तेरी तिरछी नजर।। भर पिचकारी मारी मोरे तन पे, प्रेम की जोत जगी मोरे मन में,...
Read moreकाना मार गयी रे, तेरी तिरछी नजर।। भर पिचकारी मारी मोरे तन पे, प्रेम की जोत जगी मोरे मन में,...
Read moreएक दीन गंगा रे तीरे, मिलग्या दो बिछड्या प्राणी। दोहा - सूरज टले चंदो टले, और टले जगत व्यवहार, पण...
Read moreआईजी जगमग जागी, केसर वाली रे ज्योत, भगतो ने दर्शन देवजो, ओ मैया भगत आया, थोरोडे दरबार, भगतो री विनती...
Read moreबीरा दो दिन को मेहमान, आखिर जाना पड़ेला रे।। दुर्लभ जन्म अमोलक भाय, कर कुछ पुरुषार्थ चित लाय, क्यों तन...
Read moreभया मैं सतगुरु का बंदा, दोहा - सेवक कुंभ कुम्हार गुरु, गढ़ गढ़ खाडे खोट, रज्जब अंदर रक्षा करें, बाहर...
Read moreकई पंखा ढुला रियो छाया में, रामजी ने भूल गयो माया में।। कलंग कामणी को रस थु भोग्यो, विषय वासना...
Read moreबेरी तू राम भजेलो कब रे, दोहा - गोरे गोरे तन पे तू, बावरे गुमान करे, रंग सो पतंग तेरे,...
Read moreसुआ बोल राम की वाणी, दोहा - कुंजर मद मस्त मरे तो मारिए, कामनी कनक कलेश टले तो टालिए, हरि...
Read moreराम भजन करले रे म्हारा मनवा, दोहा - लोभ सदा जिनके धन को जन, सो निश्वासर दाम भजे, भोग इच्छा...
Read moreसतगुरु शरण गयो सुख पायो, दोहा - कहे दास सगराम, गुरु की महिमा भारी, कीकर वरणी जाय, जीब धुजे रे...
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