पूरब से जब सूरज निकले सिंदूरी घन छाए भजन लिरिक्स
पूरब से जब सूरज निकले, सिंदूरी घन छाए, पवन के पग में नुपुर बाजे, मयूर मन मेरा गाये, मन मेरा...
Read moreपूरब से जब सूरज निकले, सिंदूरी घन छाए, पवन के पग में नुपुर बाजे, मयूर मन मेरा गाये, मन मेरा...
Read moreउज्जैन के महाराज हो, दीनो के दीनानाथ हो, तुम कालों के काल हो, बाबा महाकाल हो।। दरबार में भोले के...
Read moreजपले भोले का तू नाम, बिगड़े बनते है सब काम, लीला जग में है न्यारी, लीला जग में है न्यारी,...
Read moreदेव बड़ा आला है, बाबा बड़ा भोला भाला है, पहने है सर्पो की माला, मेरा भोला बड़ा है निराला, मेरा...
Read moreतुम कालों के काल, बाबा मेरे महाकाल। दोहा - उज्जैन नगरी स्वर्ग है, बैठे राजाधिराज महाराज, हर भक्त यहाँ होता...
Read moreसंकट जब हम पर आए तो, शिव शंभू तुम आ जाना, हम दुखियारो की ऐ भोले, आकर लाज बचा जाना।।...
Read moreहे शिव भोले भंडारी, मैं आया शरण तिहारी, हे शिव भोलें भंडारी, मैं आया शरण तिहारी।। बाघम्बर तेरे अंग पर...
Read moreहमारे साथ श्री महाकाल, दोहा - कर्ता करे ना कर सके, शिव करे सो होय, तीन लोक नौ-खंड में, शिव...
Read moreमेरे तो आधार है, भोलेनाथ के चरणारविन्द, भोले के चरणारविन्द, बाबा के चरणारविन्द, मेरे तो आधार हैं, भोलेनाथ के चरणारविन्द।।...
Read moreशिव शंकर डमरू धारी, है जग के आधार, तीनो लोक पे रहता है, उनका ही अधिकार, शिव शंकर डमरू धारीं,...
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