कहते है सब ग्रंथ हो चाहे गीता या रामायण
कहते है सब ग्रंथ हो चाहे, गीता या रामायण। दोहा - राम कृष्ण दोऊ एक है, अंतर नहीं निमेष, उनके...
Read moreDetailsकहते है सब ग्रंथ हो चाहे, गीता या रामायण। दोहा - राम कृष्ण दोऊ एक है, अंतर नहीं निमेष, उनके...
Read moreDetailsमेरी मानो पिया, उनकी दे दो सिया। दोहा - करना है शुभ कर्म करो, चोरी का करना ठीक नहीं, हरना...
Read moreDetailsकैसे चुकाऊं इन सांसों का मोल रे, दोहा - दुर्लभ मानुष जीवन है, देह न बारम्बार, तरुवर ज्यो पत्ती झड़े,...
Read moreDetailsबेकार की बातों में, आया ना कीजिए, जिसमे ना भक्ति रस हो, गाया ना कीजिए, बेकार की बातो में, आया...
Read moreDetailsरहो संसार में तुम पानी, और कमल की तरह, करके सत कर्म, बुजुर्गों से दुआएं ले लो, रहों संसार मे...
Read moreDetailsबंदे कर लेना गुणगान, घर चल दाता के, धीरे धीरे जर जर होती, कंचन तेरी काया, लेकर तो निर्मल आया...
Read moreDetailsरनु बाई पाणी क जाय, दोहा - माँ ममता की मूर्ति, माँ ममता माँ प्यार, माँ के बंधन से बंधा,...
Read moreDetailsमन तड़पत हरि दरसन को आज, मोरे तुम बिन बिगरे सगरे काज, विनती करत हूँ रखियो लाज, मन तडपत हरि...
Read moreDetailsअब तो आओ धनुष के धारी, आकर के देखो मेरी लाचारी, है बड़ी यहाँ दुखियारी, है बड़ी यहाँ दुखियारी, तुम्हारी...
Read moreDetailsनाम सुमिरले सुमिरन करले, कौन जाने कल की, जगत में खबर नहीं पल की, रे मनवा बात करे कल की।।...
Read moreDetails© 2024 Bhajan Diary