उठा लिए कांवड़,
चल दिए महाकाल के दर पे,
उज्जैनी में चलके पंहुचे,
महाकाल के दर पे,
उठा लिए कांवड़,
चल दिए महाकाल के दर पे।।
आया श्रवण का महीना,
हो गई भक्तो की तैयारी,
रखलिए कांधे पे है कांवड़,
चल दिये पैदल नर और नारी,
रक्षा करना अपने भक्त की,
आए शरण तिहारी,
उठा लिए कांवड़,
चल दिए महाकाल के दर पे।।
माता गौरा संग बैठे,
मेरे भोले त्रिपुरारी,
शृंगी भृंगी संग लेके,
करते नंदी की सवारी,
दास बनालो अपने चरण का,
सुनलो अर्जी हमारी,
उठा लिए कांवड़,
चल दिए महाकाल के दर पे।।
उठा लिए कांवड़,
चल दिए महाकाल के दर पे,
उज्जैनी में चलके पंहुचे,
महाकाल के दर पे,
उठा लिए कांवड़,
चल दिए महाकाल के दर पे।।
गायका – पंडित तिलक शर्मा।
उज्जैन – 9754029170