चल नाकोड़ा भैरव के द्वार,
लगा है दादा का दरबार,
के किस्मत बदल जायेगी,
के किस्मत बदल जायेगी।।
है दरबार ये बड़ा अनोखा,
चल नाकोड़ा सुंदर मौका,
अब किसका है इंतजार हो,
ले ले संग सारा परिवार,
के किस्मत बदल जायेगी,
के किस्मत बदल जायेगी।।
है कलयुग की ये अदभुत शक्ति,
करलो प्रेम से इनकी भक्ति,
तन मन दे तू इनपे वार,
मिलेगा कृपा का भंडार,
के किस्मत बदल जायेगी,
के किस्मत बदल जायेगी।।
लाखो भक्त है इनके दीवाने,
नाकोड़ा जाने के ढूंढे बहाने,
तू भी कर ले जरा एतबार,
तुझे भी मिल जायेंगे सरकार,
के किस्मत बदल जायेगी,
के किस्मत बदल जायेगी।।
मन में लगन हो विश्वास हो पक्का,
उनका मान सदा इसने रक्खा,
जब होगा तुझे दीदार,
लुटायेगा तुझपे अपना ये प्यार,
के किस्मत बदल जायेगी,
के किस्मत बदल जायेगी।।
‘दिलबर’ दिल पर राज ये करता,
खुशियो से दामन भक्तो का भरता,
कहता टुकलिया परिवार,
प्रवीण के भेरूजी आधार,
के किस्मत बदल जायेगी,
के किस्मत बदल जायेगी।।
चल नाकोड़ा भैरव के द्वार,
लगा है दादा का दरबार,
के किस्मत बदल जायेगी,
के किस्मत बदल जायेगी।।
गायिका – ममता राउत मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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