चाल राधा मधुबन चालां,
तारां छाई रातड़ी,
हिल मिल रास रचास्यां,
ए मधुबन में,
हां ए आपां हिलमिल रास रचास्यां,
ए मधुबन में।।
(तर्ज – राजस्थानी पारम्परिक धमाल)
कोनीं चालूं मधुबन कान्हा,
सोत थां रै हाथ में,
बंसी नै बगा द्यो तो चालूंली,
मधुबन में,
हां जी थां री बंसी नै बगा द्यो तो,
चालूंली मधुबन में।।
होठां स्यूं लग ज्यावै म्हा रै,
बांस री आ बांसूरी,
त्रिभुवन रा सुख पांवूं जी,
मधुबन में,
हां जी मैं तो त्रिभुवन रा सुख,
पांवूं जी मधुबन में।।
तान तू सुणा सखियां नै,
सागै ले ले ग्वालड़ा,
हिवड़ै में बसा राखो,
कुण कुण सी,
सखियन नै,
हां ए थे तो हिवड़ै में बसा राखो,
कुण कुण सी सखियन नै।।
बांसुरी री धुन सुण,
राधा मुलकाई,
दोन्यूं चाल्या रास रचावण नै,
मधुबन में,
हां जी बै तो दोन्यूं चाल्या,
रास रचावण नै,
मधुबन में।।
चाल राधा मधुबन चालां,
तारां छाई रातड़ी,
हिल मिल रास रचास्यां,
ए मधुबन में,
हां ए आपां हिलमिल रास रचास्यां,
ए मधुबन में।।
स्वर – संजू शर्मा जी।