चालो खाटू नगरी चाला रे,
फागणियो आयो,
फागणियो आयो,
रे मनडे भायो,
चालो खाटु नगरी चाला रे,
फागणियो आयो।।
तर्ज – हमुह काका बाबा ना पोरिया।
फागुन महीना में बाबा रो,
मेलो भारी,
आवे दर्शन ने दुनिया रा,
नर और नारी,
अवसरियो आयो,
रे मनडे भायो,
चालो खाटु नगरी चाला रे,
फागणियो आयो।।
बाबा श्याम का निशान ले,
भक्त चले है,
तोरण द्वार तक टोले,
भक्तो के मिले है,
यो श्याम सांवरियो
रे मनडे भायो,
चालो खाटु नगरी चाला रे,
फागणियो आयो।।
श्री श्याम के दर्शन की लगी,
लम्बी कतारे,
हर भक्त श्री मुख से,
बाबा श्याम पुकारे,
भक्त शरण मे आयो,
रे मनडे भायो,
चालो खाटु नगरी चाला रे,
फागणियो आयो।।
फागुन मेला में ‘दिलबर’,
चालो मिलके,
स्वर्ग से भी है सूंदर खाटू,
देखो चलके,
विक्रम भी आयो,
रे संग भक्ता ने लायो
रे मनडे भायो,
चालो खाटु नगरी चाला रे,
फागणियो आयो।।
चालो खाटू नगरी चाला रे,
फागणियो आयो,
फागणियो आयो,
रे मनडे भायो,
चालो खाटु नगरी चाला रे,
फागणियो आयो।।
गायक – विक्रम गुंडिया।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
मो. 9907023365