चालो रे भगतों सिरे मंदिर पर,
दाता री ज्योत जगावा जी,
पीरजी खुश होवेला,
नाथजी खुश होवेला।।
जद जद श्रावण मेलो आवे,
दाता री मन में आवे,
किनियागिरी पर्वत पर देखो,
घोर घटा यू छावै,
रिमझिम रिमझिम मेहड़ो बरसे,
मोरा गीत सुनावे जी,
पीरजी खुश होवेला,
नाथजी खुश होवेला।।
सांझ सवारा होवे आरती,
भगत घनेरा आवे नाथ,
नाथ जलंधरजी रे चरने,
नित नित शीश झुकावे,
भवर गुफा ज्योरी घनी सोवनी,
शंख नगाड़ा बजावो रे,
पीरजी खुश होवेला,
नाथजी खुश होवेला।।
भगवो चोलो ज्योरे तन पर,
सत री राह बतावे,
सत रो घुटो हाथ मे ज्योरे,
भस्मी अंग रमावे,
पैरण खड़ाऊ सांकड़ा ही,
चरणों मे धोक लगवा जी,
पीरजी खुश होवेला,
नाथजी खुश होवेला।।
दास विमल ज्योरो भजन बनावे,
मन मे आनंद पावे,
सिर पर हाथ रेवे सदा ही,
चरणों मे सूख पावे,
दाता री महिमा वरणी नई जावे,
दोई कर जोड़ सुनावे जी,
पीरजी खुश होवेला,
नाथजी खुश होवेला।।
चालो रे भगतों सिरे मंदिर पर,
दाता री ज्योत जगावा जी,
पीरजी खुश होवेला,
नाथजी खुश होवेला।।
गायक – विमल खत्री।