चलती है और चलती रहेगी,
बाबा की सरकार।
दोहा – ये हकीकत है,
हकीकत ना कभी बदलेगी,
प्रेमियों सुनलो,
अदालत ना कभी बदलेगी,
मेरा दावा है कि,
कयामत तक खाटू वाले की,
हुकूमत ना कभी बदलेगी,
मेरे बाबा की हुकूमत,
ना कभी बदलेगी।
खुला रहेगा युगों-युगों तक,
ये इनका दरबार,
चलती है और चलती रहेंगी,
बाबा की सरकार,
चलती है और चलती रहेंगी,
खाटू की सरकार।।
क्या नेता क्या अभिनेता,
निर्धन क्या धन वाले,
जो भी आता इसके दर पे,
सबको श्याम संभाले,
सबको एक बराबर मिलता,
श्याम धणी का प्यार,
चलती है और चलती रहेंगी,
बाबा की सरकार,
चलती है और चलती रहेंगी,
खाटू की सरकार।।
ये वो अदालत जिसके फैंसले,
गलत कभी ना होते,
हंसते-हंसते जाते यहां से,
जो आते हैं रोते,
जो मांगो मिलता है यहां पे,
होती ना इन्कार,
चलती है और चलती रहेंगी,
बाबा की सरकार,
चलती है और चलती रहेंगी,
खाटू की सरकार।।
पावन माटी खाटू की है,
गलियों में तुम घुमों,
तेरहां पैड़ी चढ़के चौखट,
श्याम धणी की चूमों,
इसकी मोरछड़ी के आगे,
टूटी हर तलवार,
चलती है और चलती रहेंगी,
बाबा की सरकार,
चलती है और चलती रहेंगी,
खाटू की सरकार।।
दीनदुखी का है वो सहारा,
बैठा खोल खजाने,
कलयुग का राजा है कोई,
माने या ना माने,
कहता है सारी दुनिया में,
“नरसी” ये ललकार,
चलती है और चलती रहेंगी,
बाबा की सरकार,
चलती है और चलती रहेगी,
खाटू की सरकार।।
खुला रहेगा युगों-युगों तक,
ये इनका दरबार,
चलती है और चलती रहेंगी,
बाबा की सरकार,
चलती है और चलती रहेंगी,
खाटू की सरकार।।
लेखक / गायक – श्री नरेश “नरसी” जी-फतेहाबाद।
भजन प्रेषक – प्रदीप सिंघल (जीन्द वाले)