चंदा शरमाया,
तूने जब जब किया श्रृंगार,
मुस्कान तेरी प्यारी,
हुई दिल के आर पार,
मेरा दिल करता है बाबा,
तुझे देखूं बार बार।।
तर्ज – दर्पण को देखा।
सूरज की पहली किरणे भी,
देख तुझे शर्माती है,
तेरे इन होठों की लाली,
दिल घायल कर जाती है,
जब मुस्काए तू मोहन,
जब मुस्काए तू मोहन,
तो छा जाती है बहार,
चन्दा शरमाया,
तूने जब जब किया श्रंगार।।
आंखे हैं मस्ती की प्याली,
जो इनमें खो जाता है,
खो देता है अपनी सुध बुध,
बस तेरे गुण गाता है,
तेरी इसी अदा पे मोहन,
तेरी इसी अदा पे मोहन,
ये जग जाए बलिहार चंदा,
चन्दा शरमाया,
तूने जब जब किया श्रंगार।।
तीनो लोक तरसते मोहन,
दर्शन तेरा पाने को,
‘सत्य’ भी तेरे दर पे आया,
बाबा तुझे रिझाने को,
इसे अपनी शरण में ले ले,
इसे अपनी शरण में ले ले,
तुझे निरखे बार बार,
चन्दा शरमाया,
तूने जब जब किया श्रंगार।।
चंदा शरमाया,
तूने जब जब किया श्रृंगार,
मुस्कान तेरी प्यारी,
हुई दिल के आर पार,
मेरा दिल करता है बाबा,
तुझे देखूं बार बार।।
– गायक लेखक व प्रेषक –
सतेंद्र शर्मा महेंद्रगढ़।
9990335544