नव सौ बालद री थाने,
करूं नैकोणी पद्मिनी,
राजी बाजी होने सामु भालो हाजी।।
सोनो रूपो मूनदी पेरति बनजारा,
मरती मोतिदे भारो हा जी।।
थारे सारिका मारे पोलिया बनजारा,
लोकता घोड़ो ने वाली लाडो हाजी।।
धन रे सत वनती वांका राजवी पियाजी,
बोडेलिनी पण्डा री पाजो।।
धर्म कीड़ो पोचे पांडव गलिया,
हिमालय रा हाड़ो धन वनती,
मति करो धन रो गरबों,
मति करो पूतो रो अहंकारों हाजी।।
धन जोवन माया पोमणि,
जातो नी लागे वारो हा जी।।
नव सौ बालद री थाने,
करूं नैकोणी पद्मिनी,
राजी बाजी होने सामु भालो हाजी।।
गायक – बाबुदासजी महाराज कवराडा।
प्रेषक – संत गोविन्ददास कवराडा।
9829041995