चाँदी की दिवार को तोड़ा,
मीरा ने घर छोड़ दिया,
एक राजा की राणी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया,
एक धनवान की बेटी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया।।
तर्ज – भला किसी का कर न सको तो।
नाचे गावे मीरा बाई,
लेकर कर में इकतारा,
पाँव में घुंघरू गले में माला,
भेष जोगनिया का धारा,
राणा कुल की आन बान को,
राणा कुल की आन बान को,
मीरा जी ने तोड़ दिया,
एक राजा की राणी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया,
एक धनवान की बेटी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया।।
सास कहे कुलनाशी मीरा,
लगे गले में फासी है,
कैसे जीना होगा मेरा,
जग करता यूँ हाँसी है,
मन के पिया की बनी ये जोगनिया,
मन के पिया की बनी ये जोगनिया,
तन के पिया को छोड़ दिया,
एक राजा की राणी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया,
एक धनवान की बेटी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया।।
सर्प टिपारा भेज्यो राणा,
हार मौत के शुलों का,
हंस कर मीरा ने पहना,
हार बन गया फूलों का,
प्रेम दीवानी मीरा देखो,
श्याम दीवानी मीरा देखो,
मोह का बंधन तोड़ दिया,
एक राजा की राणी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया,
एक धनवान की बेटी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया।।
पी गई मीराबाई देखो,
राणा का विष का प्याला,
कौन बिगाड़ सके है उनको,
जिसका गिरधर रखवाला,
गिरधर के रंग में दासी ने,
गिरधर के रंग में दासी ने,
जग से नाता तोड़ लिया,
एक राजा की राणी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया,
एक धनवान की बेटी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया।।
श्याम शरण में जो कोई जाते,
श्याम के वो बन जाते है
भक्त दयालु भजन भाव में,
मीरा के गुण गाते है,
भव सागर से तर गई मीरा,
भव सागर से तर गई मीरा,
जग सु बंधन तोड़ दिया,
एक राजा की राणी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया,
एक धनवान की बेटी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया।।
चाँदी की दिवार को तोड़ा,
मीरा ने घर छोड़ दिया,
एक राजा की राणी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया,
एक धनवान की बेटी ने,
गिरधर से नाता जोड़ लिया।।