चेतन हो जा रे मुसाफिर,
गाड़ी जाने वाली है,
होशियार हो जा रे मुसाफिर,
गाड़ी आने वाली है।।
हां पांच पचीस मिल गाड़ी बनाई,
गाड़ी लागे प्यारी रे,
अरे बेठण हो तो बैठो मुसाफिर,
गाड़ी जाने वाली है,
चेतन हों जा रे मुसाफिर,
गाड़ी जाने वाली है,
होशियार हो जा रे मुसाफिर,
गाड़ी आने वाली है।।
हां जब तक सिंगल पडी़यो धरण,
पर जब तक हो रही देरी रे,
अरे अगला स्टेशन जाए मिलायो,
बज रही घंटी रे,
चेतन हों जा रे मुसाफिर,
गाड़ी जाने वाली है,
होशियार हो जा रे मुसाफिर,
गाड़ी आने वाली है।।
अरे पहेलो स्टेशन माता गरब में,
माता लागे प्यारी रे,
कॉल वचन कर बाहर आई,
ओ त्रिया लागे प्यारी रे,
चेतन हों जा रे मुसाफिर,
गाड़ी जाने वाली है,
होशियार हो जा रे मुसाफिर,
गाड़ी आने वाली है।।
अरे दुजो स्टेशन थारो जंगल में,
तो पर अग्नि डारी रे,
अरे कुटुम कबीलो भेलो होई न,
खा गई माया थारी रे,
चेतन हों जा रे मुसाफिर,
गाड़ी जाने वाली है,
होशियार हो जा रे मुसाफिर,
गाड़ी आने वाली है।।
तिजो स्टेशन थारो धर्मराज घर,
सुध बुध भूलगीयो सारी रे,
कहत कबीर सुनो भाई साधु,
कहां गई भगति थारी रे,
चेतन हों जा रे मुसाफिर,
गाड़ी जाने वाली है,
होशियार हो जा रे मुसाफिर,
गाड़ी आने वाली है।।
चेतन हो जा रे मुसाफिर,
गाड़ी जाने वाली है,
होशियार हो जा रे मुसाफिर,
गाड़ी आने वाली है।।
प्रेषक – मंगनीराम साल्वी।
स्वर – जगदीश बोरियाला।