छठ पर्व पे अरग जो भक्त चढ़ा दे,
भाग्य जग जाएगा,
कोई भाव से छठी मैया को मनाले,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा।।
तर्ज – इस प्यार से मेरी।
निर्जला रहकर खरना मना ले,
नारियल ठेकुआ से डाला सजा दे,
शुद्ध तन मन से तू शीश को झुकाले,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा,
छठ पर्व पे अर्ग जो भक्त चढ़ा दे,
भाग्य जग जाएगा।।
सांझ सवेरे घाट पे जाके,
पावन जल में तू डुबकी लगा के,
हाथ जोड़े सूर्य देव को मनाले,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा,
छठ पर्व पे अर्ग जो भक्त चढ़ा दे,
भाग्य जग जाएगा।।
छठ पर्व पे अरग जो भक्त चढ़ा दे,
भाग्य जग जाएगा,
कोई भाव से छठी मैया को मनाले,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा।।