छोड़कर सारे पागलपन,
राम गुण गा ले मेरे मन।।
रामकथा शिव पुनि पुनि गायी,
जगजननी के मन अति भायी,
ब्रह्मा गणपति गण नारद ने,
तन्मय किया श्रवण,
छोड़ कर सारें पागलपन,
राम गुण गा ले मेरे मन।।
क्रूर कराल दस्यु रत्नाकर,
एक दिन पापो से उकता कर,
राम कृपा से मरा मरा जप,
बदला अपना मन,
छोड़ कर सारें पागलपन,
राम गुण गा ले मेरे मन।।
जिसको सबने ठोकर मारी,
माना सदा अमंलकारी,
अमर हो गया उस तुलसी का,
राम चरित गायन,
छोड़ कर सारें पागलपन,
राम गुण गा ले मेरे मन।।
राम नाम का मिले सहारा,
जन्म मरण से हो छुटकारा,
माया में मत उलझ नष्ट मत,
कर अपना जीवन,
छोड़ कर सारें पागलपन,
राम गुण गा ले मेरे मन।।
छोड़कर सारे पागलपन,
राम गुण गा ले मेरे मन।।
स्वर – अनूप जलोटा जी।
प्रेषक – अनिल जी।