छोटा सा घर है,
गुरुवर मेरा,
हो न पाएगा,
स्वागत तेरा,
कैसे करूँ सेवा,
गुरूदेवा, मै न जानूँ,
छोटा सा घर हैं,
गुरुवर मेरा।।
तर्ज – कोरा कागज़ था।
टूटी है खटिया प्रभू,
कैसे बिठाऊँ,
कैसे मै घर तुम्हे,
अपने बुलाऊँ,
कैसे करुँ सेवा,
गुरूदेवा, मै न जानूँ
छोटा सा घर हैं,
गुरुवर मेरा,
हो न पाएगा,
स्वागत तेरा।।
सूखी है रोटी प्रभू,
कैसे खिलाऊँ,
आरती बिना दीपक,
कैसे सजाऊँ,
कैसे करुँ सेवा,
गुरूदेवा, मै न जानूँ
छोटा सा घर हैं,
गुरुवर मेरा,
हो न पाएगा,
स्वागत तेरा।।
दास गरीब़ हूँ मै,
क्या करूँ अर्पण,
चाह यही है कि,
मिल जाए दर्शन,
कैसे करुँ सेवा,
गुरूदेवा, मै न जानूँ
छोटा सा घर हैं,
गुरुवर मेरा,
हो न पाएगा,
स्वागत तेरा।।
छोटा सा घर है,
गुरुवर मेरा,
हो न पाएगा,
स्वागत तेरा,
कैसे करूँ सेवा,
गुरूदेवा, मै न जानूँ,
छोटा सा घर हैं,
गुरुवर मेरा।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
शिवनारायण वर्मा,
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