चूरू बुला रहा है,
किरपा नहीं तो क्या है,
अब तक निभा रहा है,
अब तक निभा रहा है,
किरपा नहीं तो क्या है।।
तर्ज – वो दिल कहाँ से लाऊ।
तेरे द्वार पर ही मुझको,
बिन बोले सब मिला है,
न शिकवा न शिकायत,
और न कोई गिला है,
तू दामन ये भर रहा है,
किरपा नहीं तो क्या है,
चूरू बुला रहा हैं,
किरपा नहीं तो क्या है।।
गर तेरी कृपा न होती,
जलती न दिल मे ज्योति,
पत्थर ये रास्ते का,
बनता न आज मोती,
तू अपना बना रहा है,
किरपा नहीं तो क्या है,
चूरू बुला रहा हैं,
किरपा नहीं तो क्या है।।
कोई साथ दे या ना दे,
तूने दिया सहारा,
महसूस होता सिर पे,
बस हाथ है तुम्हारा,
अब भी फिरा रहा है,
किरपा नहीं तो क्या है,
चूरू बुला रहा हैं,
किरपा नहीं तो क्या है।।
‘दिलबर’ बसे है दिल में,
बाबोसा चूरू वाले,
मिली श्याम जिनको कृपा,
है भक्त वो निराले,
हर संकट मिटा रहा है,
किरपा नहीं तो क्या है,
चूरू बुला रहा हैं,
किरपा नहीं तो क्या है।।
चूरू बुला रहा है,
किरपा नहीं तो क्या है,
अब तक निभा रहा है,
अब तक निभा रहा है,
किरपा नहीं तो क्या है।।
गायक – श्री देवेंद्र बेगानी कलकत्ता।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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