दादा खेडे़ मरते दम तक,
ओट चाहूं सूं,
हाथ शीश प सदा राखिए,
सपोर्ट चाहूँ सूँ।।
मन भी तेरा तन भी तेरा,
तू हे सै मेरी ज्यान,
करिए एक उपकार मेरे पै,
होण दिए ना बीरान,
नीयत ठिकाणै रहै सदा,
ना खोट चाहूं सूं,
हाथ शीश प सदा राखिए,
सपोर्ट चाहूँ सूँ।।
धोखेबाज मने यार ना चाहिए,
ना चाहिए झूठा प्यार,
तेरी मस्ती का मेरे चेहरे पै,
छाया रहवै नीखार,
याद करै संसार इसी मै,
थोट चाहूं सूं,
हाथ शीश प सदा राखिए,
सपोर्ट चाहूँ सूँ।।
छाती कै मनै लाले दादा,
कहकै एक बै लाल,
किसे रुप म्ह आण फेटले,
करदे आज कमाल,
करिए मेरी रूखाल घणी,
मै चोट खाऊँ सूं,
हाथ शीश प सदा राखिए,
सपोर्ट चाहूँ सूँ।।
अर्जी मेरी मर्जी तेरी,
कहदी दिल की बात,
गजेन्द्र स्वामी कुड़लण आला,
तेरे रुख का पात,
लक्की माँगै ध्यान तेरा,
ना नोट चाहूँ सूँ,
हाथ शीश प सदा राखिए,
सपोर्ट चाहूँ सूँ।।
दादा खेडे़ मरते दम तक,
ओट चाहूं सूं,
हाथ शीश प सदा राखिए,
सपोर्ट चाहूँ सूँ।।
गायक – लक्की शर्मा।
लेखक – गजेन्द्र स्वामी।
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