दादा पितर मेरे चाल्या आइए,
तेरे पोते का कहण पुगाइए,
वस्त्र तेरे ल्या राखे सैं,
ले ले पगड़ी सर पै सजाइए,
दादा पितर मेरे चला आइए।।
तर्ज – गल्लां गल्ला विच कुछ।
धोला कुर्ता धोली धोली धोती,
पहरले ल्याए तेरे पोता पोती,
गात समाई कती ना होती,
बाट घणी दादा मत ना दिखाइए,
दादा पितर मेरे चला आइए,
तेरे पोते का कहण पूगाइए।।
सुख म्ह तेरा परिवार सै दादा,
भर राक्खे भंडार सैं दादा,
खीर का तेरा भोग बणाया,
जीम ले फेर होक्का बजाइए,
दादा पितर मेरे चला आइए,
तेरे पोते का कहण पूगाइए।।
म्हारे बाग का तू बणकै नै माली,
लेकै लाठी तू करै रखवाली,
हम सैं दादा गऊँ तेरी काली,
बणकै पाली सदा चराईऐ,
दादा पितर मेरे चला आइए,
तेरे पोते का कहण पूगाइए।।
गजेन्द्र स्वामी नै भूख दर्श की,
तनै देक्खे बिन आँख तरसगी,
लक्की शर्मा कितने वर्ष की,
दिल की तरसना दूर हटाइए,
दादा पितर मेरे चला आइए,
तेरे पोते का कहण पूगाइए।।
दादा पितर मेरे चाल्या आइए,
तेरे पोते का कहण पुगाइए,
वस्त्र तेरे ल्या राखे सैं,
ले ले पगड़ी सर पै सजाइए,
दादा पितर मेरे चला आइए।।
गायक – लक्की शर्मा पिचौलिया।
लेखक/प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लाण।
जिला करनाल – 9996800660