डमक डम डमरू रे बाजे,
चन्द्रमा मस्तक पर साजे,
नाचे भोला हर हर हर हर बम,
नाचे भोला हर हर हर हर बम,
गले में पड़ी सर्प की माला,
हाथ त्रिशूल कान में बाला,
नाचे भोला हर हर हर हर बम,
नाचे भोला हर हर हर हर बम।।
बनकर के नटराज सदाशिव,
अद्भुत कला दिखाए,
डम डम डमरू बजे हाथ में,
ताल से ताल मिलाए,
छान के भांग का गोला,
जटा बिखरा के भोला,
नाचे भोला हर हर हर हर बम,
नाचे भोला हर हर हर हर बम।।
देख के रूप अनोखा शिव का,
गौरा मन हर्षाए,
नभ मंडल से देवी देवता,
शिव पे फूल बरसाए,
है कैलाश पे अजब नज़ारे,
बाजे ढोलक झांझ नगाड़े,
नाचे भोला हर हर हर हर बम,
नाचे भोला हर हर हर हर बम।।
जैसे जैसे चरण थिरकते,
मन होता मतवाला,
नित गाता है महिमा ‘लख्खा’,
भोले देव निराला,
मगन मन भक्तो का टोला,
झूम के ‘गिरी’ है ये बोला,
नाचे भोला हर हर हर हर बम,
नाचे भोला हर हर हर हर बम।।
डमक डम डमरू रे बाजे,
चन्द्रमा मस्तक पर साजे,
नाचे भोला हर हर हर हर बम,
नाचे भोला हर हर हर हर बम,
गले में पड़ी सर्प की माला,
हाथ त्रिशूल कान में बाला,
नाचे भोला हर हर हर हर बम,
नाचे भोला हर हर हर हर बम।।
स्वर – लखबीर सिंह लख्खा जी।