डमक डमक डम डमरू बाजे,
महादेव के हाथ,
हो पी के भंग तरंग में नाचे,
शंकर भोलेनाथ,
बाबा बम लहरी बम बम भोले,
हो बाबा बम लहरी बम बम भोले।।
इनके गले में सर्पों की माला,
फूलों जैसी सजती है, सजती है,
सजती है, सजती है,
केशों से बहती गंगा की धारा,
कितनी सुन्दर लगती है, लगती है,
लगती है, लगती है
इनकी हर मुद्राए करती है,
इनकी हर मुद्राए करती है,
तीन लोक की बात,
हो पी के भंग तरंग में नाचे,
शंकर भोलेनाथ,
बाबा बम लहरी बम बम भोले,
हो बाबा बम लहरी बम बम भोले।।
चन्द्रमा मस्तक पर चमके,
अधरों पर मुस्कान,
अधरों पर मुस्कान,
नीलकंठ और अंग भभूति,
शम्भू की पहचान,
शम्भू की पहचान,
तीन नेत्र त्रिमूर्ति इनका रूप अनूप है,
इनका रूप अनूप है,
इनका रूप अनूप है,
हो इनकी महिमा ऐसे गाओ,
हो इनकी महिमा ऐसे गाओ,
झूम उठे ये रात,
झूम उठे ये रात,
हो पी के भंग तरंग में नाचे,
शंकर भोलेनाथ,
बाबा बम लहरी बम बम भोले,
हो बाबा बम लहरी बम बम भोले।।
दया की ऐसी जोत जगा जोत जगा,
दीप जलें आशाओं के,
दीप जलें आशाओं के,
ओ, कृपा दृष्टि को तरस रहे,
तन मन दसों दिशाओं के,
साक्षात् दर्शन दो बाबा,
साक्षात् दर्शन दो बाबा,
पार्वती के साथ,
हो पी के भंग तरंग में नाचे,
शंकर भोलेनाथ,
बाबा बम लहरी बम बम भोले,
हो बाबा बम लहरी बम बम भोले।।
डमक डमक डम डमरू बाजे,
महादेव के हाथ,
हो पी के भंग तरंग में नाचे,
शंकर भोलेनाथ,
बाबा बम लहरी बम बम भोले,
हो बाबा बम लहरी बम बम भोले।।
स्वर – श्री महेंद्र कपूर जी।