डंका बाज रहा कलयुग में,
घर घर बाबा श्याम का,
आओ मिलकर सभी जलाये,
एक दीप मेरे श्याम का,
आओ मिलकर सभी जलाये,
एक दीप मेरे श्याम का।।
तर्ज – क्या मिलिए ऐसे लोगो से।
खाटू की पावन गलियों में,
गूंज रहा जयकारा है,
शीश का दानी लखदातारी,
बाबा श्याम हमारा है,
दूर करे जो अंधियारे को,
श्याम नाम बड़े काम का,
आओ मिलकर सभी जलाये,
एक दीप मेरे श्याम का।।
जब भी करी फरियाद श्याम से,
लीले चढ़कर आया है,
भक्तों की नैया को मेरे,
श्याम ने पार लगाया है,
उसकी नैया कभी ना डूबे,
जिसे सहारा श्याम का,
आओ मिलकर सभी जलाये,
एक दीप मेरे श्याम का।।
आता जो भी श्याम शरण में,
होता भव से पार है,
हारे का ये साथी बाबा,
सब का खेवनहार है,
कहता प्रेमी श्याम बिना ये,
जीवन है किस काम का,
आओ मिलकर सभी जलाये,
एक दीप मेरे श्याम का।।
डंका बाज रहा कलयुग में,
घर घर बाबा श्याम का,
आओ मिलकर सभी जलाये,
एक दीप मेरे श्याम का,
आओ मिलकर सभी जलाये,
एक दीप मेरे श्याम का।।
प्रेषक – अंकुर अग्रवाल
9837363800
बहुत ही प्यारा भाव
बहुत ही सुंदर भाव, बहुत ही अच्छा प्रयास
हम सभी को बाबा श्याम का दीप जरूर जलाना चाहिए।
बहुत ही सुंदर भाव
जय श्री श्याम जी