डंको बाजे रे श्री कोटड़ी री,
मात भवानी को,
डंकों बाजे रे।।
कोटड़ी री मात भवानी,
सब भगता न प्यारी रे,
निमकथाने जन्म लियो थे,
सोनी कुल में रे,
डंकों बाजे रे।।
सरबती री जाई माता,
कोटड़ी म व्याई रे,
माखनलाल जी ब्याव रचायो,
लाडा कोड़ा रे,
डंकों बाजे रे।।
महेश सागे चांद भाई,
पाँच टाबर खेले रे,
अमिता सरिता समंदर देखो,
थारी बेटी रे,
डंकों बाजे रे।।
मकराने को मन्दिर थारो,
ऊंचो आसन सोहे रे,
मन्दिर ऊपर ध्वजा फरुके,
किरपा बरसे रे,
डंकों बाजे रे।।
दूर देश रा आवे जातरी,
मेलो भारी लागे रे,
खीर चूरमा लाडू बर्फी,
भोग लगावे रे,
डंकों बाजे रे।।
भादवा म पैदल आवे,
जागण चोखो लागे रे,
भंडारा म भोजन पावे,
नाचे गावे रे,
डंकों बाजे रे।।
सावित्री संकीर्तन मण्डल,
रतनगढ में थारो रे,
दास गोपालों लिख न गावे,
भजन थारो रे,
डंकों बाजे रे।।
डंको बाजे रे श्री कोटड़ी री,
मात भवानी को,
डंकों बाजे रे।।
Singer – Gopal Soni
9982095020