दरश दिखा दो ना कन्हैया,
दरस दिखा दो ना,
कि जन्मों से आस लगी,
अब तुम चले आओ ना,
दरस दिखा दो ना गिरधारी,
दरस दिखा दो ना,
कि जन्मों से आस लगी,
अब तुम चले आओ ना।।
तर्ज – हुस्न पहाड़ों का।
तुमको ही चाहूँ,
तुमको ही पूजूँ,
और किसी को ना,
इस दिल में बसाऊं,
और किसी को ना,
इस मन में बसाऊं,
शरण तिहारी हूँ कन्हैया,
शरण तिहारी हूँ,
कि जन्मों से आस लगी,
अब तुम चले आओ ना।।
तुम हो अनाथ के,
नाथ गोसाईं,
दीनन के हो तुम,
सदा ही सहाई,
कष्टों को मिटा दो ना कन्हैया,
कष्टों को मिटादो ना,
कि जन्मों से आस लगी,
अब तुम चले आओ ना।।
दरश दिखा दो ना कन्हैया,
दरस दिखादो ना,
कि जन्मों से आस लगी,
अब तुम चले आओ ना,
दरस दिखा दो ना गिरधारी,
दरस दिखादो ना,
कि जन्मों से आस लगी,
अब तुम चले आओ ना।।
गायक / प्रेषक – भूपेन्द्र सिंह दंडोतिया।
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