दरबार श्याम तेरा देख,
मैं तो तेरी हो गई,
ओये रूप सलोना देख,
श्याम मैं पागल हो गई,
पागल हो गई रे श्याम,
मैं तेरी हो गई,
ओये रूप सलोना देख,
श्याम मैं पागल हो गई।।
जब आई खाटू धाम तो मैं,
सुध ही खो गई,
मेरी नज़रें मिली बाबा से,
दिल के पार हो गई,
मेरे बिगड़े दिन भी बदले,
मेरी पहचान हो गई,
पहचान हो गई रे,
बाबा तेरी हो गई,
ओये रूप सलोना देख,
श्याम मैं पागल हो गई।।
मैं थी पत्थर कोई रोड़ा,
मुझे हीरा बना दिया,
उठा के ज़मी से तूने,
सीने से लगा लिया,
जब आँख खुले खाटू वाले,
मैं तुझमे खो गई,
तुझमे खो गई ने श्याम,
मैं तेरी हो गई,
ओये रूप सलोना देख,
श्याम मैं पागल हो गई।।
कृपा कर कुछ ऐसी,
मेरी ज़िन्दगी बदल गई,
फिरती थी मारी मारी,
तेरी शरण जो मिल गई,
जब शरण मिली दासी ये,
सुनीता तेरी हो गई,
तेरी हो गई सुनीता,
तेरी हो गई,
ओये रूप सलोना देख,
श्याम मैं पागल हो गई।।
दरबार श्याम तेरा देख,
मैं तो तेरी हो गई,
ओये रूप सलोना देख,
श्याम मैं पागल हो गई,
पागल हो गई रे श्याम,
मैं तेरी हो गई,
ओये रूप सलोना देख,
श्याम मैं पागल हो गई।।
Singer – Sunita Yadav