दर्शन को तरसते है,
दो नैना ये बावरे,
मेरे श्याम चले आओ,
मेरे श्याम चले आओ,
कहीं चैन नहीं तुम बिन,
मुझको मेरे सांवरे,
मेरी प्यास बुझा जाओ,
मेरे श्याम चले आओ।।
तर्ज – अँखियों के झरोखे से।
क्यूँ भूल गए हो तुम मुझे,
चरणों से लगा के,
क्यों छूप गए हो तुम मुझे,
दिवाना बना के,
निष्ठुर ना बनो इतने,
मोहन मेरे वास्ते,
मुझे धीर बंधा जाओ,
मुझे धीर बंधा जाओ,
मेरे श्याम चले आओ।।
पल पल मुझे तन्हाई के,
तड़पाने लगे है,
आशाओं के ये फूल भी,
मुरझाने लगे है,
ऐसे में दया करके,
भगवन मेरे दौड़ के,
मेरे पास चले आओ,
मेरे पास चले आओ,
मेरे श्याम चले आओ।।
ऐ श्याम सलोने तुमको तो,
आना ही पड़ेगा,
‘साजिद’ पे तरस सांवरे,
खाना ही पड़ेगा,
रख ही लो भरम मेरा,
रख ही लो भरम मेरा,
अब तो मेरे सांवरे,
मुझे और ना तरसाओ,
मेरे श्याम चले आओ।।
दर्शन को तरसते है,
दो नैना ये बावरे,
मेरे श्याम चले आओ,
मेरे श्याम चले आओ,
कहीं चैन नहीं तुम बिन,
मुझको मेरे सांवरे,
मेरी प्यास बुझा जाओ,
मेरे श्याम चले आओ।।
Bhaahut sundar bhajan lagaa ji man ko bhai gaya ji omsairam ji