सच्चे मन से उन्हें पुकारो,
दौड़े आएंगे शिवनाथ,
दौड़े आएंगे शिवनाथ।।
अपने भक्तों के हित कारण,
जहर कंठ में धारा,
जहर कंठ में धार जगत को,
बड़ी बिपदा से टारा,
बोलो सब कुछ प्रभु तुम्हारो,
दौड़े आएंगे शिवनाथ,
सच्चे मन से उन्हें पुकारों,
दौड़े आएंगे शिवनाथ।।
अपने भगत के कारण शिव ने,
गंग शीश में धारा,
गंग शीश में धारण करके,
सारे जग को तारा,
होके उनका उन्हें पुकारो,
दौड़े आएंगे शिवनाथ,
सच्चे मन से उन्हें पुकारों,
दौड़े आएंगे शिवनाथ।।
अपने भगत के कारण शिव ने,
चन्द्र शीश पे धारा,
चंद्र शीश पे धारा “राजेन्द्र”,
गले कालिया डारा,
अन्तर्मन में उनको धारो,
दौड़े आएंगे शिवनाथ,
सच्चे मन से उन्हें पुकारों,
दौड़े आएंगे शिवनाथ।।
सच्चे मन से उन्हें पुकारो,
दौड़े आएंगे शिवनाथ,
दौड़े आएंगे शिवनाथ।।
गीतकार/गायक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
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