दे दो ऐसा वर मुझे मैं गाता ही रहूँ,
जिंदगी भर तुझको माँ रिझाता ही रहूँ,
होंठो पे ओ मैया सिर्फ तेरा नाम हो,
दिन हो चाहे रात मैया सुबह शाम हो,
दे दों ऐसा वर मुझे मैं गाता ही रहूँ,
जिंदगी भर तुझको माँ,
रिझाता ही रहूँ।।
तर्ज – देखा एक ख्वाब तो ये।
तेरी किरपा की माँ जरुरत है,
तू ही ममता की मैया मूरत है,
छांव तेरे आँचल की पाता मैं रहूँ,
कुछ न कुछ मैं भी गुनगुनाता रहूँ,
दे दों ऐसा वर मुझे मैं गाता ही रहूँ,
जिंदगी भर तुझको माँ,
रिझाता ही रहूँ।।
तूने कितनों को मैया तारा है,
मैंने भी माँ तुझे पुकारा है,
तुझको सब पता है मैया,
ज्यादा क्या कहूँ,
तू बुलाती रहना और मैं आता रहूँ,
दे दों ऐसा वर मुझे मैं गाता ही रहूँ,
जिंदगी भर तुझको माँ,
रिझाता ही रहूँ।।
‘राजा’ को माँ तेरा सहारा है,
तेरी किरपा से ही गुजारा है,
साथ रहना इससे ज्यादा,
कुछ भी न कहूँ,
राखे मैया जैसे भी तू वैसे ही रहूँ,
दे दों ऐसा वर मुझे मैं गाता ही रहूँ,
जिंदगी भर तुझको माँ,
रिझाता ही रहूँ।।
दे दो ऐसा वर मुझे मैं गाता ही रहूँ,
जिंदगी भर तुझको माँ रिझाता ही रहूँ,
होंठो पे ओ मैया सिर्फ तेरा नाम हो,
दिन हो चाहे रात मैया सुबह शाम हो,
दे दों ऐसा वर मुझे मैं गाता ही रहूँ,
जिंदगी भर तुझको माँ,
रिझाता ही रहूँ।।
लेखक : राजा अग्रवाल।
गायक / प्रेषक : गोपाल डालमिया।
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