दे दो दे दो सहारा चरणों का,
नहीं भरोसा रहा लाड़ली,
नहीं भरोसा रहा लाड़ली,
मेरे अपने खोटे कर्मों का,
मुझे दे दो सहारा चरणो का।।
बन दासी मैं सेवा कमाया करूँ,
गहबर कुंड पे दर्शन पाया करूँ,
तेरे महल पे सोहनी लगाया करूँ,
करो कृपा बन जाए ठिकाना,
करो कृपा बन जाए ठिकाना,
मेरे जैसे अधमो का,
मुझे दे दो सहारा चरणो का।।
तेरे चरणों की रज में बैठा करूँ,
कुछ कहता रहूं कुछ सुनता रहूं,
तेरे नाम की माला पिरोता रहूं,
करूँ कभी अभिषेक लाड़ली,
करूँ कभी अभिषेक लाड़ली,
नैनो से बहते झरनों का,
मुझे दे दो सहारा चरणो का।।
कभी दीन पे करुणा करो लाड़ली,
कभी अपनी कहके वरो लाड़ली,
मेरे शीश पे हाथ धरो लाड़ली,
‘रवि’ की परम लाड़ली श्यामा,
‘रवि’ की परम लाड़ली श्यामा,
मैं भी दास तेरा कई जन्मो का,
मुझे दे दो सहारा चरणो का।।
दे दो दे दो सहारा चरणों का,
नहीं भरोसा रहा लाड़ली,
नहीं भरोसा रहा लाड़ली,
मेरे अपने खोटे कर्मों का,
मुझे दे दो सहारा चरणो का।।
स्वर – साध्वी पूर्णिमा दीदी जी।