देबारी रे दरवाजे माय,
घाटा वाली मैया।
दोहा – मेवाड़ मुल्क रे मायने,
थारो रूडो सज्यो दरबार,
अरज शाम्भलो धणियाणी,
थाने नमन है बारम्बार।
देबारी रे दरवाजे माय,
घाटा वाली मैया,
घाटा पर ही गाड दियो रे,
त्रिशूल म्हारी मैया।।
चोडा चोडा चौक में,
ठाठ घणा है मैया,
आसान ढालियों निमड़ला री,
छाया म्हारी मैया।।
जातरिया रो जमघट लागे,
रविवार ने मैया,
दुखिया रा थे दुखड़ा काटो,
चामुंडा म्हारी मैया।।
रंग बिरंगी काचली ने,
चुनर ओडो मैया,
सतरंगी यो लेहंगो पैरो,
चामुंडा म्हारी मैया।।
माथा ऊपर रखड़ी सोवे,
नाका नथनी मैया,
हिरला वालों हार गला में,
पैरों म्हारी मैया।।
काना माही झुमका सोवे,
बाजूबंद मैया,
पग में बिछिया कमर कंदोरो,
पैरों म्हारी मैया।।
हाथों माई चुड़लों खंणके,
पग पायलड़ी मैया,
ठुमक ठुमक ने आवो भवानी,
चामुंडा म्हारी मैया।।
थारी कृपा थारो आश्रो,
मै चरणों में मैया,
शरणे आया री लाज राखजो,
घाटा वाली मैया।।
केशु ऊबो चरणों में,
अनंत गावे मैया,
ढोल नगाड़ा नौबत बाजे,
मंदिर माही मैया।।
देबारी रे दरवाजें माय,
घाटा वाली मैया,
घाटा पर ही गाड दियो रे,
त्रिशूल म्हारी मैया।।
गायक – अनंत लोहार।
प्रेषक – केशु लाल लोहार।
9784293640