हो दीवाना मैं भगमें बाणे का,
कर भक्ति मनै टोह लिया रस्ता,
हर के थाणे का,
हो दीवाना मै भगमें बाणे का।।
तर्ज – हो बालाजी मेरा संकट काटो ने।
संतों की हो माया न्यारी,
बेड़ा पार लगाते हैं,
लाकै ध्यान हरि का भक्तों,
ज्ञान की बात बताते हैं,
बेरा ना यैं कितना दे दें,
जब देणे प आते हैं,
हो ख्याल करैं याणे स्याणे का,
कर भक्ति मनै टोह लिया रस्ता,
हर के थाणे का,
हो दीवाना मै भगमें बाणे का।।
शुद्ध भूमि हो जाती है वोह,
जहां संतों का वास हो,
जिन के ऊपर इनकी छाया,
उनका जीवन खास हो,
वोही आता संत शरण में,
भक्ति की जीनै प्यास हो,
हो ज्ञान मिलै धर्म कमाणे का,
कर भक्ति मनै टोह लिया रस्ता,
हर के थाणे का,
हो दीवाना मै भगमें बाणे का।।
कहै नरेंद्र सासरोलिया,
इनकी माया है अनमोल,
हर दुख म यैं साझी पावैं,
देख ले एक ब देकै बोल,
चरणों में तू शीश झुका ले,
देंगे पट भरम का खोल,
हो फर्ज था मेरा बताणे का,
कर भक्ति मनै टोह लिया रस्ता,
हर के थाणे का,
हो दीवाना मै भगमें बाणे का।।
हो दीवाना मैं भगमें बाणे का,
कर भक्ति मनै टोह लिया रस्ता,
हर के थाणे का,
हो दीवाना मै भगमें बाणे का।।
गायक – लक्की शर्मा पिचौलिया।
9034283904
लेखक – नरेंद्र सासरोलिया।
प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी बैरागी कुड़लण।
9996800660