दीवाना मैं तो मोहन का,
जग समझे मैं बौराना,
दीवाना मै तो मोहन का।।
वो राधा रानी वाले हैं,
आंखों में काजल डाले हैं,
आंखों की चितवन है ऐसे,
जैसे छलके पैमाना,
दीवाना मै तो मोहन का।।
वो मोर मुकुटिया वाले हैं,
कानो मे कुंडल डालें हैं,
चेहरे की छटा देखी जबसे,
मैं हो गया मस्ताना,
दीवाना मै तो मोहन का।।
वो गीता गाने वाले है,
ऊंगली पर चक्र सम्हाले है,
मुरली की ताने सुन सुन कर,
हूँ खुद से अंजाना,
दीवाना मै तो मोहन का।।
मीरा का गिरधर गोपाला,
जो बिष को अमृत कर डाला,
गीता का ज्ञान सुनाया था,
जब अर्जुन अकुलाना,
दीवाना मै तो मोहन का।।
वो रास रचाने वाले हैं,
नख में गिरिराज सम्हाले,
‘राजेन्द्र’ कहे है राधावर,
कुछ दे दो नज़राना,
दीवाना मै तो मोहन का।।
दीवाना मैं तो मोहन का,
जग समझे मैं बौराना,
दीवाना मै तो मोहन का।।
गायक / गीतकार – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
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