देखकर श्रृंगार माँ का,
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया मेरा,
दिल दीवाना हो गया,
देखकर श्रृंगार मां का,
दिल दीवाना हो गया।।
चांद से मुखड़े पे मां के,
लाल बिंदिया है लगी,
नैनो में कजरा है डाला,
दिल दीवाना हो गया,
देखकर श्रृंगार मां का,
दिल दीवाना हो गया।।
सिर पे गोटेदार चूंदड़ी,
चांद तारो से सजी,
नौलखा ये हार प्यारा,
दिल दीवाना हो गया,
देखकर श्रृंगार मां का,
दिल दीवाना हो गया।।
हाथ में सोने के कंगन,
लाल चूड़ी हाथ है,
जिसपे है मेहंदी की लाली,
दिल दीवाना हो गया,
देखकर श्रृंगार मां का,
दिल दीवाना हो गया।।
पैरों में पायल के घुंघरू,
छम छमा छम छम बजे,
मन लुभाये तो कहूं मैं,
दिल दीवाना हो गया,
देखकर श्रृंगार मां का,
दिल दीवाना हो गया।।
देखकर श्रृंगार माँ का,
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया मेरा,
दिल दीवाना हो गया,
देखकर श्रृंगार मां का,
दिल दीवाना हो गया।।
गायक / प्रेषक – सचिन निगम बाराबंकी।
8756825076
लेखक – पंकज पपीहा गोण्डा।