नेत्र अग्नि पुंज ज्वाल,
कर रही तांडव कराल,
त्राहि-त्राहि दानवों की चाल में,
देखो चामुंडा नाच रही ताल में,
देखो चामुंडा नाच रही ताल मे।।
खप्पर त्रिशूल रखें,
भैरवी विपुल रखें,
मस्तक पर चंद्रमा है,
नागिन से केश रखें,
लटक रही अरी मुंडमाल में,
देखो चामुंडा नाच रही ताल मे।।
खडकी से मार रही,
पैरों से रोन्ध रही,
जो काले केशो में,
दामिनी सी कोध रही,
जीभ लभलभाति फिरे ज्वाल में,
देखो चामुंडा नाच रही ताल मे।।
भक्तों की खातिर माँ,
धरती पर आती रही,
दुष्टों को मार के,
हमको बचाती रही,
मंत्री भी नाचे लाई ताल में,
देखो चामुंडा नाच रही ताल मे।।
नेत्र अग्नि पुंज ज्वाल,
कर रही तांडव कराल,
त्राहि-त्राहि दानवों की चाल में,
देखो चामुंडा नाच रही ताल में,
देखो चामुंडा नाच रही ताल मे।।
गायक – द्वारका मंत्री।
देवास मध्य प्रदेश 94250 47895
लेखक – पूज्य गुरुदेव सुरेश जी शांडिल्य।
शांडिल्य आश्रम भोपाल।