देखो ढूंढ रहे श्री राम,
मगर सीता ना कही पाई,
वन वन में भटके राम,
वन वन में भटके राम,
मगर सीता ना कही पाई,
देखो ढूँढ रहे श्री राम,
मगर सीता ना कही पाई।।
तर्ज – हम भूल गए रे हर बात।
पेड़ो से पत्तों से पूछा,
बहती सी हवा से भी पूछा,
वन से उपवन सब से पूछा,
पानी के झरनों से पूछा,
कोई कुछ तो बोलो आज,
कोई कुछ तो बोलो आज,
मगर सीता ना कहीं पाई
देखो ढूँढ रहे श्री राम,
मगर सीता ना कही पाई।।
मेरे लखन भाई तुम एकबार,
कुटिया में वापस से जाओ,
मेरा दिल जोरो से धड़क रहा,
जाकर के मुझे तुम बतलाओ,
धक धक दिल धड़के आज,
धक धक दिल धड़के आज,
मगर सीता ना कहीं पाई
देखो ढूँढ रहे श्री राम,
मगर सीता ना कही पाई।।
तब आभूषण सीताजी का,
श्रीराम को था दिखलाई दिया,
हे लक्ष्मण आओ सीता ने,
हमको शायद ये सबूत दिया,
आशंका मन भयभीत,
आशंका मन भयभीत,
मगर सीता ना कहीं पाई
देखो ढूँढ रहे श्री राम,
मगर सीता ना कही पाई।।
आगे चल खून से लथपथ था,
एक बड़ा सा पंछी कराह रहा,
ये वीर जटायु रामभक्त,
श्री राम नाम को पुकार रहा,
माँ सीता संग रघुवीर,
दुष्ट रावण ने की चतुराई,
धर जोगी वाला चीर,
धर जोगी वाला चीर,
जानकी लेई गए चुराई।।
देखो ढूंढ रहे श्री राम,
मगर सीता ना कही पाई,
वन वन में भटके राम,
वन वन में भटके राम,
मगर सीता ना कही पाई,
देखो ढूँढ रहे श्री राम,
मगर सीता ना कही पाई।।
Singer & Lyrics – Mukesh Kumar Meena
9660159589