देखो म्हारो श्याम,
कैसो जँच रह्यो है,
सिंघासन पे बैठो बैठो,
हँस रह्यो है।।
तर्ज – एक परदेसी मेरा दिल।
सांवली सलोनी छवि,
भोलो भालो मुखड़ो,
प्रेम से निहार ले,
तो मिट जावे दुखड़ो,
आंखया से अमृत,
बरस रह्यो है,
सिंघासन पे बैठो बैठो,
हँस रह्यो है।
देखों म्हारो श्याम,
कैसो जच रह्यो है,
सिंघासन पे बैठो बैठो,
हँस रह्यो है।।
तीखा तीखा नैना से,
जादू यो चलावे,
अपनों बणावे बिन,
कदे ना भुलावे,
प्रेमियों की प्रेम डोर,
कस रह्यो है,
सिंघासन पे बैठो बैठो,
हँस रह्यो है।
देखों म्हारो श्याम,
कैसो जच रह्यो है,
सिंघासन पे बैठो बैठो,
हँस रह्यो है।।
अपने भगता ने बाबो,
प्यारो घणो लागे,
सारा सेवक झूम रह्या,
सांवरा के आगे,
भगता के काळजे,
में बस रह्यो है,
सिंघासन पे बैठो बैठो,
हँस रह्यो है।
देखों म्हारो श्याम,
कैसो जच रह्यो है,
सिंघासन पे बैठो बैठो,
हँस रह्यो है।।
श्याम जैसो दुनियाँ में,
दूजा नहीं ओर है,
मैं तो यही जाणु,
म्हारो श्याम चित चोर है,
‘बिन्नू’ कहे जिव,
फस रह्यो है,
सिंघासन पे बैठो बैठो,
हँस रह्यो है।
देखों म्हारो श्याम,
कैसो जच रह्यो है,
सिंघासन पे बैठो बैठो,
हँस रह्यो है।।
देखो म्हारो श्याम,
कैसो जँच रह्यो है,
सिंघासन पे बैठो बैठो,
हँस रह्यो है।।
स्वर – शुभम ठाकरान।
बहुत बहुत प्यारा