डेरू पे नाचूंगी,
हे डेरू पै नाचूंगी,
आवै जोतराम की पेशी,
हे डेरू पै नाचूंगी।।
मेरी डटती कोन्या काया हो,
बाबा का रूप समाया हो,
मेरै भगती का रंग छाया हो,
हे डेरू पै नाचूंगी।।
छाई रोम रोम में मस्ती,
भारि जोतराम की हस्ती,
कोन्या भुली जावै भगती,
हे डेरू पै नाचूंगी।।
हे काया की थी मैं रोगण,
बणगी जोतराम की जोगण,
चाहे दुनियां लागो टोकण,
हे डेरू पै नाचूंगी।।
होरया संजय सिंहमार भी रंग में,
मनोज बेलरखा संग में,
होरया भगती आले ढंग में,
हे डेरू पै नाचूंगी।।
डेरू पे नाचूंगी,
हे डेरू पै नाचूंगी,
आवै जोतराम की पेशी,
हे डेरू पै नाचूंगी।।
गायक – मास्टर श्री मनोज बेलरखा जी।
+91 94165 14300
लेखक – मास्टर श्री संजय सिंहमार जी।
+91 97282 27642
प्रेषक – संंजीव टोहाना। 9896578391