देवरो सती को म्हाने प्यारो लागे,
जठे बैठी सती रानी श्यानी,
झुंझुनू धिराणी दानी,
गगन धारा में तो नगाड़ा बाजे,
देवरो सती को म्हाने प्यारो लागे,
बैठी माता देवरे में,
ओढ़ चुनरिया लाल जी,
नौबत शंख नगाड़ा बाजे,
गाओ दे दे ताल जी,
तू तो सारे जग की माता,
बन बैठि भाग्य विधाता,
थारो भादवे की मावस ने मेलो लागे,
देवरों सती को म्हाने प्यारो लागे।।
घननन घननन घंटा बाजे,
कोसा शब्द सुने है,
पंडितजन पैडया पर बैठा,
मंगल मंत्र गुने है,
बठै नाचे मोर पपहिया,
जय जयकार करे है मैया,
मन झुंझुनूं तो,
गांव में जी म्हारो लागे,
देवरो सती को म्हाने प्यारो लागे।।
लाल पताका उड़े गगन में,
लहर लहर लहरावे जी,
मकराने को बण्यो देवरो,
भक्ता के मन भावे जी,
यो तो दमदमाट दमके,
उगते सूरज माही चमके,
जठे जागरण रोज तिहारो जागे,
देवरो सती को म्हाने प्यारो लागे।।
जब जब भीड़ पड़े भक्ता पे,
सिंह चढ़ी तू आवे जी,
खड़ग त्रिशूल ले हाथ में माता,
आकर लाज बचावे जी,
जो कोई माँ ने ध्यावे,
वो तो मन इच्छा फल पावे,
‘इन्दर’ भक्ति को ज्ञान वठे ही जागे,
देवरो सती को म्हाने प्यारो लागे।।
– गायक एवं प्रेषक –
राजीव सोनी।
9304358311