धजबन्द लाज रखो म्हारी,
ओ बापजी कलम रखो म्हारी,
तीन लोक और चौदह भवन में,
अखण्ड जोत थारी।।
घर अजमल अवतार धारियों,
भीरमदे भाई,
माता मैणादे थोरी करे है आरती,
हाथ लिवी झारी।।
पिछम धरा में भणियो देवरो,
मौज बणी भारी,
घृत मिठाई बाबा चढ़े ओ चूरमो,
रुपियो री निज झारी।।
दड़िया रमते दैत मारियो,
कीनो जुदद भारी,
भैरव रागस ने मार हटायो,
राखयो ला एक धारी।।
रामसरोवर आप ख़ुदायो रामा,
पाल बणाई भारी,
बाबा ओ थोरे घाट पर ओ,
बणिया ओ गिरधारी।।
दूर देश रा आवे जातरू,
स जोड़े नरनारी,
अलगी भौम रा आवे जातरी,
निवण करे नर नारी।।
हरि शरणे भाटी हरजी बोले,
भाने रो भीड़द बधाई,
धजबन्द लाज रखों म्हारी,
ओ बापजी कलम रखो म्हारी।।
धजबन्द लाज रखो म्हारी,
ओ बापजी कलम रखो म्हारी,
तीन लोक और चौदह भवन में,
अखण्ड जोत थारी।।
गायक – श्री दारम जी पँवार।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052