ढलक ढलक काई रोवे,
लीलण म्हारी रे,
तेजो बंधियो वचना रे माय,
खरनाल्या में चली जा जे।।
काका रे बाबा ने लीलण,
राम राम कहिजे,
दीजे वाके चरना माहि डोक,
खरनाल्या में चली जा जे।।
भाई रे बंधु ने लीलण,
राम राम कहिजे,
कहिजे वाने तेजा रो सलाम,
खरनाल्या में चली जा जे।।
राणी पेमल ने म्हारा,
करवा चौथ कहिजे,
दीजे वाने पगड़ी संभाल,
खरनाल्या में चली जा जे।।
शंकर भीचर थांकी,
महिमा गावे,
तेजा दीज्यो थे तो,
भीचर पर ध्यान,
खरनाल्या में चली जा जे।।
ढलक ढलक काई रोवे,
लीलण म्हारी रे,
तेजो बंधियो वचना रे माय,
खरनाल्या में चली जा जे।।
प्रेषक – शंकर लाल भीचर (चौधरी)
9929482589