धरती वीरा री,
साखी – आ धरती शुरा वीरा री,
आ धरती है रणवीरा री,
इण धरती बाता मत पूछो,
वीरा राखियों यो सर ऊंचों,
आ बात करें जग यो समुचो।
चितौड़ धरा या है पावन,
धन धन माटी रो यो कण कण,
ऐडा जणीया बीरा बन्ना,
इतिहास लिखीयोडो पन्ना में,
ये अमर सिंह राठौड़ वीया,
गौरा बादल की जोड़ वीया,
वीरा ने आवे जोश अटे,
कुम्भा सागा रणवीर जटे,
ये कंवर कल्ला राठौड़ लड़े,
बिन माथा के ही टुट पड़े,
रक्ता को नालों यो बेगीयो,
नाला में एक पाडो बेगीयो,
जोधा भारी वीर जबर,
खिलजी से लिदी जा टक्कर,
राणा प्रताप की सुन सुनकर,
गबरावे थर्रावे अकबर,
धरती वीरा री,
धरती शुरा री,
जोधा वीर बली बलधारी,
घोड़ा चेतक री असवारी,
राणा प्रताप सिंह प्रण धारी,
धरती वीरा रीं।।
राणोजी आनबान रखबालो,
उदय सिंह जयंती रो लालो,
हाथ में ससामण को भालो,
धरती वीरा रीं,
भागीया छोड़ मुगल सब घाटीया,
बेरी खाता खाता आटया,
गाजर मुली ज्यों काटया,
धरती वीरा रीं,
धरती शुरा री।।
गोगुंदा उदयापुर की माटी,
गणी मुगला की मुण्डकीया काटी,
रक्त में रंग गई हल्दी घाटी,
धरती वीरा रीं,
राणा जी जटीने नजर घुमाता,
भागता बेरी नजर आता,
जाणो जाणो सांची बाता,
धरती वीरा रीं,
धरती शुरा री।।
प्रताप राणाजी प्रण किदो,
नारों एकलिंगजी रो दिदो,
स्वतंत्र मेवाड़ ने कर लिदो,
धरती वीरा रीं,
फौजा बादशाह की भारी,
राणा प्रताप आगे हारी,
गण गणकर दशा बिगाड़ी,
धरती वीरा रीं,
धरती शुरा री।।
गढ़ चित्तौड़ की गाथा न्यारी,
वीरांगना हुईं जटे कई नारी,
जौहर किदो पदमन राणी,
धरती वीरा रीं,
साखी इतिहास देवेगा,
चेतक याद गणु आवेगा,
जब तक चांद सूरज रेवेगा,
धरती वीरा रीं,
धरती शुरा री।।
पन्ना अपनों पुत कटायो,
मेवाड़ को वंश बचायो,
उदय जी उदयपुर बसायो,
धरती वीरा रीं,
झाला मानसिंह पछतायो,
मेवाड़ याद यो आयो,
राणा को छतर लगायो,
धरती वीरा रीं,
धरती शुरा री।।
राणाजी घास की रोटी खादी,
सहन कर लीदी बर्बादी,
पण या नी दिदी आजादी,
धरती वीरा रीं,
यो मेवाड़ देश हैं ठावो,
जावो दर्शन करके आवो,
उण माटी रो तिलक लगाओ,
धरती वीरा रीं,
धरती शुरा री।।
अकबर नींद में ओचक जावे,
काल ज्यों थर थर यो थर्रावे,
‘गोकुल नारायण’ जस गावे,
धरती वीरा रीं,
जोधा वीर बली बलधारी,
घोडा चेतक री असवारी,
राणा प्रताप सिंह प्रणधारी,
धरती वीरा रीं,
धरती शुरा री।।
Singer – Gokul Sharma
Upload By – Gopal Singh Umariya
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कभीकभी भजन एसे नही मीलते क्या करे