धीन माता धीन धरती,
थने कदे ना देकी फिरती हो,
धिन माता धीन धरती।।
धरती रो धणी आप करन्ता,
कई नर हो गया आगे हो,
कुम्भकरण और रावण जैसा,
गया गड़ीन्दा खाता ओ,
धिन माता धिन धरती,
थने कदे ना देकी फिरती हो,
धिन माता धीन धरती।।
भीम सरीका बलवंत योद्धा,
नित उठ कुश्ती हो,
हिमालय में हाड गालियों ,
कोई ना आई सोवन्ति हो,
धिन माता धिन धरती,
थने कदे ना देकी फिरती हो,
धीन माता धीन धरती।।
नाव तो नावड़िया चाले,
नदिया चालो उड़ती हो,
चाँद सूरज तो सरोदे चाले,
नगतर चाले फिरता हो,
धिन माता धिन धरती,
थने कदे ना देकी फिरती हो,
धीन माता धीन धरती।।
देवनाथ गुरु पूरा मलिया ,
गुरु मलिया स्मृति हो,
राजा मान कहे सुनो भाई साधु ,
जागी ज्योत भव भव की हो,
धिन माता धिन धरती,
थने कदे ना देकी फिरती हो,
धीन माता धीन धरती।।
धीन माता धीन धरती,
थने कदे ना देकी फिरती हो,
धिन माता धीन धरती।।
“श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा प्रेषित”
सम्पर्क : +91 9096558244