धोरा री धरती पर ओ तो,
उड़तो आवे रे,
घोड़ो बाबा रो,
ओ घोड़ो पीरा रो।।
रूणिचा से चाल्यो घोड़ो,
पुंगलगढ़ मे जावे,
बाई शुगना रे सासरिये रा,
सगळा हाल सुनावे,
शुगना बाई रे बीर रा,
ओ दर्श करावे रे,
घोड़ो बाबा रो,
ओ घोड़ो पीरा रो।।
सेठ सेठानी जावे रूणिचा,
मारग मिलगया चोर,
घोड़लिए री टाप सुनी जद,
भागया रन न छोड़,
भगता रे ऊपर भीड़ पड़ी जद,
दोड्या आवे रे,
घोड़ो बाबा रो,
ओ घोड़ो पीरा रो।।
बांन्यो बोहीतो गयो विदेसा,
माल घणो रे कमाई,
सोनी जी न हार बनायो,
मन मे लालच आई,
डूबन लागी झाझडली न,
पार लगावे रे,
घोड़ो बाबा रो,
ओ घोड़ो पीरा रो।।
रूनीचे से चाल्यो घोड़ो,
भगता के घर आवे,
वीणा तंन्दुरा नौबत बाजे,
देव सभी हरसावे,
विष्णु सागर घोडलिये न,
शीस नवावे रे,
घोड़ो बाबा रो,
ओ घोड़ो पीरा रो।।
धोरा री धरती पर ओ तो,
उड़तो आवे रे,
घोड़ो बाबा रो,
ओ घोड़ो पीरा रो।।
गायक – गोपाल सोनी रतनगढ़।
9982095020